Monday, June 21, 2010

एनीकट में पानी की बजाए रेत

गिरते जलस्तर को रोकने के लिए हर वर्ष सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत जगह- जगह बनवाए गए एनीकट में पानी की बजाए रेत भरी है। सरकारी खजाने के लाखों रुपए रेत में दफन होते नजर आ रहे हैं। घाणेराव क्षेत्र के कई एनीकट ऐसे हैं जो बिना पानी के भर गए हैं यानी उनमें इतनी मात्रा में रेत और मलबा भर चुका है कि बरसात का पानी आया भी तो वह रुक नहीं पाएगा। सरकार द्वारा बरसात के पानी को एकत्र करने के लिए बनाए गए एनीकट पर ध्यान नहीं देने से उनमें रेत और मलबा एकत्र होता रहा और अब स्थिति यह आ चुकी है कि पानी रुकने के लिए तो थोड़ी सी जगह बची है। ज्यादा पानी आने पर बहकर आगे निकल जाएगा। पिछले कई वर्षों से लगातार अकाल पडऩे से कुओं का जलस्तर गिरने के कारण वे सूख गए। कुओं में पानी नहीं होने से किसान खेती के लिए पूरी तरह से बरसात पर निर्भर हो गए हैं। गिरते जलस्तर को रोकने व बरसाती पानी का संरक्षण करने के लिए सरकार ने महानरेगा एवं जलग्रहण योजना के तहत हर वर्ष करोड़ों रुपए खर्च कर एनीकट का निर्माण करवाया। गत वर्ष मुख्य नदी पर भीम कुंड एनीकट का निर्माण करीब दस लाख रुपए की लागत से किया गया। रेत भर जाने के कारण यह एनीकट रेत में दफन हो गया है। इसके अलावा जलग्रहण क्षेत्र में कई एनीकट का निर्माण करवाया गया, मगर उनका मलबा एनीकट में ही पड़ा है। ऐसे में इनमें बरसात का पानी भरने की कोई गुंजाइश नहीं है। इस ओर विभागीय अधिकारियों ने भी कोई गंभीरता नहीं दिखाई है।

Thursday, June 03, 2010

पुलिस व ग्रामीणों के बीच झडप, मकान जलाया

देसूरी, 3 जून। थानान्तर्गत नारलाई कस्बे में पिछले सप्ताह अवैध संबध के चलते हुए हत्याकांड में पुलिस की कार्यवाही से उग्र ग्रामीणों की पुलिस के साथ झड़प हो गई और आरोपी महिला का घर फूंक ड़ाला। ग्रामीणों के साथ हुई झड़प में कई पुलिसकर्मी जख्मी हो गए।
कस्बे में 26 मई को अधेड़ गणेशाराम सरगरा की एक सूने मकान में हत्या कर दी गई थी। पुलिस जांच में हत्याकांड अवैध सबंध के चलते एक किशोर द्वारा होनी पायी गई। बताया गया कि नारलाई निवासी विवाहिता ब्रजेश कवंर के इस किशोर के साथ नाजायाज रिश्ते थे और गणेशराम ने उन्हें संदेहास्पद स्थिति में देख लिया था। तभी से उसे रास्ते से हटाने के लिए विवाहिता व किशोर सोच रहे थे और एक दिन मौका पाकर हत्याकांड को अंजाम दे दिया।
इस मामले में पुलिस ने आरोपी किशोर व विवाहिता को गिरफ्तार कर लिार। लेकिन ग्रामीण पुलिस कार्यवाही से संतुष्ठ नही हुए। इसी के चलते ग्रामीणों में पुलिस के खिलाफ माहौल बनता गया और गुरूवार को प्रात: ग्रामीणों द्वारा श्रीतपेश्वर महादेव मंदिर में करीब हजारों की तादाद ग्रामीणों ने एक बैठक का आयोजन कर जांच अधिकारी पर सवालिया निशान लगा हिदया। इसी के साथ ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया।
उग्र ग्रामीणों ने नारलाई के मुख्य बस स्टाप पर आकर सड़क मार्ग को लोगों ने लकडियों व टायर को फूंक कर अवरूद्ध कर दिया। उोजित ग्रामीण पुलिस के खिलाफ नारे बाजी करते रहे। स्थिति बिगड़ते देख देसूरी पुलिस, सादड़ी पुलिस व रानी पुलिस थाने से पुलिस बल नारलाई भेजे गए। पुलिस बल लोगों से समझाइश करने लगा। लेकिन ग्रामीण पुलिस जांच का उग्र विरोध करते रहे। इसी दौरान कु छ पुलिस कर्मियों द्वारा लोगों पर लाठी चार्ज कर दिया। जिस पर एकाएक ग्रामीण भडक उठे और पत्थरों से पुलिस पर हमला बोल दिया। जिसमें कई पुलिस कर्मी एवं ग्रामीण भी घायल हुए लेकिन ग्रामीण इतने से ही शांत नही हुए। इसी माहौल के साथ मुख्य बस स्टाप पर आरोपी महिला ब्रजेश कंवर के मकान में लोगों ने आग के हवाले कर दिया। इसके आधा घन्टे बाद भारी पुलिस बल नारलाई पहुंच कर लोगों को मुख्य बस स्टाप से खदेड दिया। बाद में पुलिस बल ग्राम भर में सायरन एवं लाउडस्पीकर की आवाज के साथ गश्त करती रही।

Wednesday, June 02, 2010

तापघात से 28 चमगादड़े मरी

देसूरी,2 जून। इन दिनों देसूरी क्षेत्र में गर्मी वन्य जीवों पर कहर बरपा रही हैं। घाणेराव-देसूरी के बीच दूदापुरा ग्राम पंचायत की सरहद में स्थित काणा पीर दरगाह पर दो दर्जन से अधिक चमगादड़े काल कवलित हो गई हैं। कुभंलगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य से सटे इलाकों में जहां तहां वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास हैं। इनमें से काणा पीर दरगाह चमगादड़ों के एक बड़े ठिकाने के रूप में जाना जाता हैं। यहां दरगाह पर विशाल बरगद पर हजारों चमगादड़े अपने पंजों के सहारे उल्टी लटकी मिल जाएगी। पूरा दिन इनकी आवाज से यह शांत और पवित्र स्थल गूंजता रहता हैं। हर रोज दरगाह पर सजदा करने वाले मोमिनों का ध्यान खिंचने वाली इन चमगादड़ों में से कुल 28 पिछली 27मई को जमीन पर मृत पड़ी थी। गर्मी सह न पाने से इन से खून भी रिसा। जमीन पर औंधे मुंह पड़ी इन चमगादड़ों के खून के छिंटे भी दिखाई दिए। माना जा रहा हैं कि इन चमगादड़ों की मृत्यु तापघात के चलते हुई हैं। कभी घनी छाया देने वाला बरगद पर पत्तों की कमी आने से सूर्य की तिक्ष्ण किरणों ने इन चमगादड़ों का अकाल मौत मार दिया। प्राय: रात को उडऩे वाले यह स्तनधारी प्राणी क्षेत्र की जैव विविधता का प्रमुख हिस्सा हैं। प्रतिध्वनि से स्थिति निर्धारण करने वाले एवं भोजन ढूंढने व दिन भर छायादार व अंधेरी गुफाओं में उल्टे पांव लटके रहने वाले इस जीव के क्षेत्र में लांपी बस स्टेंड व सेलीनाल बांध नर्सरी पर भी बड़े ठिकाने हैं। लेकिन अभी तक वहां चमगादड़ों को किसी खतरे की कोई इत्तला नही हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि पारा 42-43 डिग्री पार होने पर चमगादड़ृों पर तापघात का असर होने लगता हैं। पिछले दिनों उदयपुर जिले की झाड़ोल पंचायत समिति के सोम ग्राम में ड़ाकबंगले व दरांगी फला तालाब पर दस हजार से अधिक चमगादड़ों के तापघात से मरने की खबर हैं। तापमान इसी तरह कायम रहा तो देसूरी क्षेत्र में चमगादड़ों के मरने की ओर घटनाएं भी सामने आ सकती हैं।

सड़क पाटने के कार्य में देरी पर नाराज हुए जिला प्रमुख

देसूरी,2 जून। जिला प्रमुख खुशवीरसिंह ने नाड़ोल-देसूरी सड़क को चौड़ा करने के लिए नरेगा के तहत किए गए खुदाई कार्य के बाद उसे पाटने में लेटलतीफी पर नाराजगी व्यक्त की हैं। उन्होंने कहा कि अगर निर्माण सामग्री की उपलब्धता नही थी तो खुदाई कार्य शुरू ही नही करवाया जाना चाहिए था। जिला प्रमुख मंगलवार रात क्षेत्रीय जिला परिषद सदस्य प्रमोदपाल सिंह मेघवाल के साथ देसूरी क्षेत्र के दौरे पर थे। नाड़ोल-देसूरी सड़क मार्ग से गुजरते वक्त जनप्रतिनिधियों ने सड़क के किनारे-किनारे सत्रह किलोमीटर तक हुई खुदाई को डेढ़ माह बाद भी न पाटने का मामला उनके ध्यान में लाया। उन्हें बताया गया कि इस वजह से एक मिनी ट्रक दुर्घटना में एक जने की मौत होने व अन्य दुर्घटनाओं में अब तक कई जने घायल हो चुके हैं। इस पर जिला प्रमुख ने अफसोस प्रकट किया और कहा कि वक्त पर सड़क के किनारे पाट लिए जाते तो ये दुर्घटनाओं के सबब न बनते। उन्होंने कहा कि इन दुर्घटनाओं के लिए प्रशासन को जिम्मेदारी अपने सिर पर लेनी चाहिए। बाद में उन्होंने मोबाईल पर एसडीएम से भी बात की और उन्हें सड़क किनारे हुई खुदाई शीघ्रतापूवक पाटने के निर्देश दिए। एसडीएम ने उन्हें बताया कि निर्माण सामग्री उपलब्ध न होने से खुदाई पाटी न जा सकी हैं।