Tuesday, December 07, 2010

अणसी बाई समाधि स्थल का मेला संपन्न

देसूरी,7 दिसम्बर। पाली जिले में देसूरी उपखंड के नाड़ोल कस्बें में स्थित मेघवाल समाज की आराध्य बाल तपस्विनी अणसी बाई के समाधि स्थल पर दो दिवसीय मेला मंगलवार को आस्था एवं श्रद्धा के साथ संपन्न हो गया। इससे पहले सोमवार रात्रि को मेले का शुभारंभ भजन संध्या के साथ हुआ।

भजन संध्या कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सूचना एवं जनसंपर्क राज्यमंत्री अशोक बैरवा ने कहा कि किसी भी समाज के उत्थान के लिए शिक्षा का अपना महत्व हैं। उन्होंने कि आज का दिन अणसी बाई के समाधि दिवस के साथ साथ डॉ.अम्बेड़कर का निर्वाण दिवस होने से ओर भी महत्वपूर्ण हो गया हैं। इन दोनों महापुरूषों ने समाज के हित के लिए जीवनपर्यंत कार्य किया।

कार्यक्रम में विषिष्ठ अतिथि के रूप में जिला प्रमुख खुशवीरसिंह,सोजत विधायक श्रीमती संजना आगरी,जिला परिषद सदस्य प्रमोदपाल सिंह मेघवाल,अम्बेडकर प्रगतिशील संस्थान के प्रदेशाध्यक्ष हरिनारायण बैरवा,पाली प्रधान श्रीमती शोभा सोलंकी,बाली प्रधान श्रीमती गुलाब राजपुरोहित,कांग्रेस नेता जयसिंह राजपुरोहित,पूर्व विधायक आत्माराम मेघवाल,गोपाराम मेघवाल,उप निदेशक माध्यमिक शिक्षा नरींगराम मेघवाल,जिला शिक्षा अधिकारी पुखराज सोलंकी,समाजसेवी कालूराम सोनल,जोराराम मेहरड़ा,विकास अधिकारी घीसाराम बामनियां,सरपंच मनीषा मेघवाल सहित कई जन प्रतिनिधि एवं समाजसेवी मौजूद थे। जिनका पुजारी हरजीराम एवं आयोजक बाल तपस्विनी श्री अणसीबाई संस्थान के अध्यक्ष रूपाराम धणदै,कार्यक्रम संयोजक कन्हैयालाल परिहार,महासचिव डॉ.पी.सी.दीपन,कोषाध्यक्ष धनाराम परिहार,सचिव बस्तीमल सोनल,सदस्य बुद्धाराम परिहार,कपूराराम बाफना,तुलसीराम घेनड़ी,नारायणलाल हटेला इत्यादि ने माला,साफा एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया।

इधर,भजन संध्या भोर होने तक अविरल चलती रही। गायक प्रेमाराम जाट ने अणसीबाई की कथा एवं भजन से मौजूद दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। भीलवाडा से आए राधेश्याम भाट व साथी कलाकारों ने रात भर एक से बढ़ कर एक मनमोहक प्रस्तुतियां दी।

दूसरे दिन मंगलवार को मंदिर के ध्वजारोहण के साथ मुख्य मेले का शुभारंभ हुआ। मेले में बड़ी संख्या में हाथ ठेले,हाट बाजार व झूले सजे हुए थे। मेलार्थियों की तादाद से सड़क मार्ग पर लगे इस मेले से यातायात भी अवरूद्ध रहा। वाहनों को गुजराने के लिए पुलिस को बार-बार मशक्कत करनी पड़ी। रात्रि व सवेरे शीत लहर से ठिठूरे लोग जगह-जगह अलाव तापते रहे। नाड़ोल कस्बे सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के लोग देर अलसवेरे पहूंचने लगे। लोग आते ही समाधि स्थल पर पहॅूंचते और वहां प्रतिमा के दर्शन एवं पूजा-अर्चना कर मेले में शामिल हो जाते। समाधि स्थल पर अणसीबाई के पुजारी एवं भतीजे हरजीराम व उनके सहयोगी श्रद्धालुओं का चढ़ावा चढ़ाने में मदद करते रहें। मेले में लोग साल भर बाद मिल कर एकदूसरे के हालचाल जानने में मशगुल देखे गए। मेला सांय तक चलता रहा।