दुल्हन की तरह सजा देसूरी,हैलीकॉटर से होगी पुष्पवर्षा
देसूरी। यहॉं विमलनाथ भगवान जिनालय की अंजनशलाका प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी में कस्बा दुल्हन की तरह सज गया हैं। सभी प्रमुख रास्तों पर बंदनवार,प्रवेशद्वार व रोशनी से सजावट की गई हैं। प्रतिष्ठा के दौरान हैलीकॉटर से पुष्पवर्षा की जाएगी। मंगलवार से शुरू हो रहे इस भव्य आयोजन की चर्चा समूचे इलाके में हो रही हैं।
दीक्षादानेश्वरी आचार्यपद रजत महोत्सव वर्षे में नवनिर्मित जिनालय मे मूलनायक श्री विमलनाथ भगवान आदि जिनिबिंबो की अंजनशलाका प्राण प्रतिष्ठा निमित्ति एकादशान्हिका महोत्सव सात मई मंगलवार का शुभारंभ प्रभुजी एवं आचार्य देव श्री पुण्यरत्न सुरीश्वरजी,यशोरत्न सुरीश्वरजी,विजय रविरत्नसुरीश्वरजी एवं विजय रश्मिरत्नसुरीश्वरजी गुरूदेवों के प्रवेश के साथ होगा। पंच कल्याणक प्रारंभ बारह मई रविवार को,वरघोड़ा एवं अंजनविधि 15 मई बुधवार व मंगल प्रतिष्ठा 16 मई गुरूवार को आयोजित होगें।
इस आयोजन की तैयारी में ट्रस्ट मंड़ल अध्यक्ष उम्मेदमल फागणिया,उपाध्यक्ष इंदरमल अम्बावत,सचिव देवराज गुर्जर,उपसचिव प्रकाशचंद कोठारी,प्रवीणकुमार गुर्जर,उपकोषाध्यक्ष रूपराज मांडण सहित ट्रस्टीगण अमृतलाल गोदाणी,प्रकाशचन्द्र मांडण,मानमल अम्बावत,अमृतलाल सोलंकी,विमलचंद साकरीया, सुरेशकुमार अम्बावत की अगुवाई में सकल पोरवाल जैन संघ पूरे जोश खरोश से जुटा हुआ हैं। आयोजन का केन्द्र कस्बे के जंगलात चौकी इलाके को बनाया गया हैं। जहांॅं विशाल शामियाना तैनात किया गया। इस आयोजन के लिए स्वच्छता पर विशेष जोर दिया गया हैं और इसके लिए कस्बें के बाजार सहित आयोजन स्थलों की ओर जाने वाले मार्गों को साफ करवाया गया हैं। आयोजन में कस्बे के सभी जाति-समुदाय सहित प्रमुख लोगों को आमंत्रित करने के लिए आमंत्रण पत्र वितरित किए जा रहे हैं।
इधर, निर्माणाधीन विमलनाथ भगवान जिनालय का गर्भगृह पूर्ण हो गया हैं और शेष निर्माण कार्य शिल्पी कमलेशकुमार सरेमल सोमपुरा के निर्देशन में युद्धस्तर पर जारी हैं। इस आयोजन की तैयारी की चर्चा हर जुबान पर छायी हुई हैं। बुर्जुग लोगों का कहना हैं कि उन्होंने अपने जीवन में इस कस्बें में इतने बड़े स्तर पर ऐसा कोई आयोजन नहीं देखा।
दीक्षादानेश्वरी आचार्यपद रजत महोत्सव वर्षे में नवनिर्मित जिनालय मे मूलनायक श्री विमलनाथ भगवान आदि जिनिबिंबो की अंजनशलाका प्राण प्रतिष्ठा निमित्ति एकादशान्हिका महोत्सव सात मई मंगलवार का शुभारंभ प्रभुजी एवं आचार्य देव श्री पुण्यरत्न सुरीश्वरजी,यशोरत्न सुरीश्वरजी,विजय रविरत्नसुरीश्वरजी एवं विजय रश्मिरत्नसुरीश्वरजी गुरूदेवों के प्रवेश के साथ होगा। पंच कल्याणक प्रारंभ बारह मई रविवार को,वरघोड़ा एवं अंजनविधि 15 मई बुधवार व मंगल प्रतिष्ठा 16 मई गुरूवार को आयोजित होगें।
इस आयोजन की तैयारी में ट्रस्ट मंड़ल अध्यक्ष उम्मेदमल फागणिया,उपाध्यक्ष इंदरमल अम्बावत,सचिव देवराज गुर्जर,उपसचिव प्रकाशचंद कोठारी,प्रवीणकुमार गुर्जर,उपकोषाध्यक्ष रूपराज मांडण सहित ट्रस्टीगण अमृतलाल गोदाणी,प्रकाशचन्द्र मांडण,मानमल अम्बावत,अमृतलाल सोलंकी,विमलचंद साकरीया, सुरेशकुमार अम्बावत की अगुवाई में सकल पोरवाल जैन संघ पूरे जोश खरोश से जुटा हुआ हैं। आयोजन का केन्द्र कस्बे के जंगलात चौकी इलाके को बनाया गया हैं। जहांॅं विशाल शामियाना तैनात किया गया। इस आयोजन के लिए स्वच्छता पर विशेष जोर दिया गया हैं और इसके लिए कस्बें के बाजार सहित आयोजन स्थलों की ओर जाने वाले मार्गों को साफ करवाया गया हैं। आयोजन में कस्बे के सभी जाति-समुदाय सहित प्रमुख लोगों को आमंत्रित करने के लिए आमंत्रण पत्र वितरित किए जा रहे हैं।
इधर, निर्माणाधीन विमलनाथ भगवान जिनालय का गर्भगृह पूर्ण हो गया हैं और शेष निर्माण कार्य शिल्पी कमलेशकुमार सरेमल सोमपुरा के निर्देशन में युद्धस्तर पर जारी हैं। इस आयोजन की तैयारी की चर्चा हर जुबान पर छायी हुई हैं। बुर्जुग लोगों का कहना हैं कि उन्होंने अपने जीवन में इस कस्बें में इतने बड़े स्तर पर ऐसा कोई आयोजन नहीं देखा।
भगवान विमलनाथ : तेरहवें तीर्थंकर
तीर्थकर नाम – श्री विमलनाथ भगवान
माता का नाम – माता श्यामा देवी
पिता का नाम – राजा कृतवर्म
जन्म कुल – इक्ष्वाकुवंश
च्यवन तिथी – वैशाख शुक्ला 12
च्यवन व जन्म स्थान – कम्पिलाजी
जन्म तिथी – माघ शुक्ला 3
जन्म नक्षत्र – उत्तराभाद्रपद
लक्षण – वराह
शरीर प्रमाण – 60 धनुष
शरीर वर्ण – सुवर्ण
विवाहित/अविवाहित – विवाहित
दीक्षा स्थान – कम्पिलाजी
दीक्षा तिथी – माघ शुक्ला 4
दीक्षा पश्चात प्रथम पारणा – 2 दिन बाद खीर से
छद्मस्त काल – 2 महीने
केवलज्ञान स्थान – कम्पिलाजी
केवलज्ञान तिथी – पौष शुक्ला 6
वृक्ष जिसके नीचे केवलज्ञान हुआ – जंबू वृक्ष
गणधरों की संख्या – 57
प्रथम गणधर – मंदर स्वामी
प्रथम आर्य – धरा
यक्ष का नाम – षण्मुख
यक्षिणी का नाम – विदिता देवी
मोक्ष तिथी – आषाढ कृष्णा 7
प्रभु के संग को प्राप्त साधु – 600 साधु
मोक्ष स्थान – सम्मेतशिखर