Wednesday, June 02, 2010
तापघात से 28 चमगादड़े मरी
देसूरी,2 जून। इन दिनों देसूरी क्षेत्र में गर्मी वन्य जीवों पर कहर बरपा रही हैं। घाणेराव-देसूरी के बीच दूदापुरा ग्राम पंचायत की सरहद में स्थित काणा पीर दरगाह पर दो दर्जन से अधिक चमगादड़े काल कवलित हो गई हैं। कुभंलगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य से सटे इलाकों में जहां तहां वन्य जीवों के प्राकृतिक आवास हैं। इनमें से काणा पीर दरगाह चमगादड़ों के एक बड़े ठिकाने के रूप में जाना जाता हैं। यहां दरगाह पर विशाल बरगद पर हजारों चमगादड़े अपने पंजों के सहारे उल्टी लटकी मिल जाएगी। पूरा दिन इनकी आवाज से यह शांत और पवित्र स्थल गूंजता रहता हैं। हर रोज दरगाह पर सजदा करने वाले मोमिनों का ध्यान खिंचने वाली इन चमगादड़ों में से कुल 28 पिछली 27मई को जमीन पर मृत पड़ी थी। गर्मी सह न पाने से इन से खून भी रिसा। जमीन पर औंधे मुंह पड़ी इन चमगादड़ों के खून के छिंटे भी दिखाई दिए। माना जा रहा हैं कि इन चमगादड़ों की मृत्यु तापघात के चलते हुई हैं। कभी घनी छाया देने वाला बरगद पर पत्तों की कमी आने से सूर्य की तिक्ष्ण किरणों ने इन चमगादड़ों का अकाल मौत मार दिया। प्राय: रात को उडऩे वाले यह स्तनधारी प्राणी क्षेत्र की जैव विविधता का प्रमुख हिस्सा हैं। प्रतिध्वनि से स्थिति निर्धारण करने वाले एवं भोजन ढूंढने व दिन भर छायादार व अंधेरी गुफाओं में उल्टे पांव लटके रहने वाले इस जीव के क्षेत्र में लांपी बस स्टेंड व सेलीनाल बांध नर्सरी पर भी बड़े ठिकाने हैं। लेकिन अभी तक वहां चमगादड़ों को किसी खतरे की कोई इत्तला नही हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि पारा 42-43 डिग्री पार होने पर चमगादड़ृों पर तापघात का असर होने लगता हैं। पिछले दिनों उदयपुर जिले की झाड़ोल पंचायत समिति के सोम ग्राम में ड़ाकबंगले व दरांगी फला तालाब पर दस हजार से अधिक चमगादड़ों के तापघात से मरने की खबर हैं। तापमान इसी तरह कायम रहा तो देसूरी क्षेत्र में चमगादड़ों के मरने की ओर घटनाएं भी सामने आ सकती हैं।