देसूरी, 21 फरवरी। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के सादड़ी स्थित राजयोग केन्द्र प्रभारी बी. के. शुचिता बहन ने कहा कि शिवरात्रि का उत्सव स्वयं परमपिता परमात्मा के सृष्टि पर अवतरित होने की याद दिलाता है। शिवरात्रि पर सच्चा उपवास यही है कि हम परमात्मा शिव से बुद्धि योग लगाकर उनके समीप रहें। उपवास का अर्थ भी होता है समीप रहना। उन्होंने कहा कि शिवरात्रि के पर्व पर जागरण सच्चा अर्थ है कि विकारों से से स्वयं को बचाया जाए।
बहन शनिवार को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थानीय शाखा में शिवरात्रि पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित शिव जयन्ती महोत्सव कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी। उन्होंने शिवरात्रि के आध्यात्मिक रहस्य को उजागर करते हुए कहा कि शिव त्रिकालदर्शी अखंड ज्योति स्वरुप है। सर्व आत्माओं के पिता शिव हैं। शिव का शाब्दिक अर्थ कल्याणकर्ता है। शिव भोलेनाथ भक्तों के ऊपर शीघ्र प्रसन्न हो जाने तथा उनका कल्याण करने वाले हैं। वे पतित पावन अर्थात् पतित हुई मनुष्यात्माओं को पावन बनाने वाले तथा सबके सद्गतिदाता है।
उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक अर्थ में रात्रि आत्माओं के अज्ञान-अंधकार, विकारों अथवा आसुरी लक्षणों का प्रतीक है। इसी समय परमात्मा प्रकट होकर ज्ञान का प्रकाश आत्माओं को देकर उन्हें विकारों से मुक्त करवाते हैं। सुखों के भंडारों से भरपूर करते हैं। उन्होंने कहा कि परमात्मा ही ज्ञान सागर है जो मानव मात्र को सत्य ज्ञान द्वारा अन्धकार से प्रकाश की ओर अथवा असत्य से सत्य की ओर ले जाते हैं।
उन्होंने शिव ध्वज का महत्व बताया। बाद में सरपंच नेनाराम चौधरी ने ध्वजारोहण किया। इस दौरान शिवतलाव सरपंच धनाराम,देसूरी उपसरपंच टेकाराम प्रजापत,समाजसेवी रतनलाल छिपा,हरिओमपुरी गोस्वामी मुकेशपुरी गोस्वामी,मांगीलाल महाराज, बी.के. भ्राता कन्हैयालाल,बी.के.कविता बहन,बी.के. शीतल बहन सहित बड़ी संख्या में कस्बेवासी मौजूद थे।
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