Tuesday, February 03, 2009

पुराने न्यायालय की सुरक्षा के लिए लालटेन की लौ

देसूरी,3 फरवरी। यहां बरसों तक चहल-पहल से गुलजार रहे न्यायालय के नए भवन में चले जाने के बाद पुराना भवन रोशनी को भी तरस गया। अब जाकर एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की पहल पर इसकी सुरक्षा लालटेन के हवाले हुई हैं।
बरसों तक फैसले दर फैसले सुना चुका सिविल न्यायाधीश कनिष्ठ खंड एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग न्यायालय दो साल पहले नए भवन में स्थानान्तरित हो गया। इससे पहले इसी परिसर में चलने वाला तहसील कार्यालय व बाद में सहायक कलेक्टर कार्यालय नए भवन में जा चुके थे। न्यायालय भवन भी तब्दील हो जाने से वकिलों,परिवादी,गवाहों से भरा रहने वाला पुराना न्यायालय परिसर भी सूना हो गया।
इसी के चलते यह परिसर कचरागाह बनता गया। भीतर अंग्रेजी बबूल उग आए हैं। सभी पुराने भवनों के खिडक़ी दरवाजे क्षतिग्रस्त होने लग गए। पूरे परिसर पर नजर दौड़ाए तो यह निर्जन भवन किसी भूतहा महल से कम नजर नहीं आता। इस परिसर में सर्प व बघेरा स्वछंद विचरण करते हैं।
इस परिसर की जिम्मेदारी एक चर्तुथ श्रेणी कर्मचारी के हवाले कर रखी हैं। जिसे रात के समय घनघोर अंधेरे में चौकीदार करनी पड़ रही हैं। ऐसे खतरनाक हालात को झेलते-झेलते आखिर उसने पिछली 28 जनवरी को उपजिला कलेक्टर से दस लीटर कैरोसिन मुहैया कराने की गुहार की। ताकि वह रात को लालटेन जला कर अपने कत्र्तव्य का निर्वाह कर सके। जिस पर उपजिला कलेक्टर ने हाथोंहाथ ग्राम सेवा सहकारी समिति को आदेश जारी कर दिया।
अब जाकर इस परिसर की सुरक्षा के लिए लौ जला करेगी। चर्तुथ श्रेणी कर्मचारी इसी से खुश हैं। इससे अलग मानव सेवा संस्था युवा प्रकोठ अध्यक्ष गौतम गजनीपुरा ने लालटेन से पुराने परिसर की सुरक्षा करने पर रोष जताते हुए विद्युत प्रकाश व्यवस्था की मांग की हैं।


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