देसूरी,6 फरवरी। यहां न्यायालय ने मोरखा ग्राम पंचायत में फर्जी पट्टा बनाने वाले एक अभियुक्त के विरूद्ध प्रसंज्ञान लेकर वारंट के जरिए तलब किया हैं।
परिवादी के अधिवक्ता महेन्द्र शर्मा ने बताया कि परिवादी मोरखा सरपंच मांगीलाल चौधरी ने सिविल न्यायाधीश कनिष्ठ खण्ड एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम वर्ग न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत कर मोरखा निवासी गजेन्द्रसिंह पुत्र लक्ष्मणसिंह राजपूत के विरूद्ध कूटरचना से पट्टा सं.548 व 465 बनाने का आरोप लगाकर बताया था कि इन पट्टों से संबधित कोई दस्तावेज ग्राम पंचायत के रिकॉर्ड में नहीं हैं। इस संबध में जांच कराए जाने पर विकास अधिकारी ने भी पट्टा सं. 465 सही नहीं पाया।
न्यायालय ने तमाम साक्ष्यों के प्रकाश में यह साबित पाया कि पट्टा सं. 465 कूटरचित हैं। इसके अलावा यह 6 जून 1992 को जारी पट्टा अन्त्योदय परिवार के तहत जारी बताया गया। लेकिन वर्ष 1987 से 1997 की सूचि में अभियुक्त का नाम अंकित नहीं हैं और न ही आवंटी के हस्ताक्षर हैं। एफ.एस.एल. रिर्पोट में भी दोनो पट्टों पर किए गए हस्ताक्षर नमूना हस्ताक्षरों से भिन्न पाए गए हैं। इस प्रकार अभियुक्त ने कूटरचना कर पट्टे बनाए और असली पट्टों के रूप में उनका उपयोग किया।
इस पर न्यायालय ने चार फरवरी को अभियुक्त के विरूद्ध अपराध भा.द.स. की धारा 420,467,468 एवं 471 में प्रसंज्ञान लेकर प्रकरण दर्ज रजिस्टर करने के आदेश दिए हैं। इसी के साथ अभियुक्त को जरिए वारंट तलब किया हैं।
Friday, February 06, 2009
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